मैं अक्सर काफी गंभीर कवितायें लिखता हूँ .... अपने Farewell के अवसर पे
कुछ हल्का लिखने की सूझी तो ये कविता ह्रदय से निकली .. ये कविता मेरे
चार सालों के अनुभव का समावेश जो मैंने अपने कॉलेज में बिताये...आशा करता
हूँ आपको अच्छी लगेगी ...
भाषा को सरल रखा है ताकि ज्यादा लोग इसे आसानी से समझ सकें ....|
भाषा को सरल रखा है ताकि ज्यादा लोग इसे आसानी से समझ सकें ....|
ज़िन्दगी की बिसात पर.. वक़्त की शेह से .. आज मुझे मात मिली ..
सोचा न था की ये पल .. ये साथ ..
वक़्त यूँ ही सिमट कर रह जाएगा कुछ घंटों के दरम्यान ...
चार साल बीत गए ...
सोचता हूँ की कुछ लिखूं आज अपने दोस्तों के नाम ...
गए चार सालों की तरफ जब नज़र फेरता हूँ तो
कई यादें .. कई बातें याद आती हैं ...
यादें जो खट्टी हैं ..यादें जो मीठी हैं ..
याद आता है पहले बार किस तरह सहमे हुए कदम रखा था यहाँ
इस डर से की कहीं मेरी Ragging न की जाएँ ...
आज भी याद है की किस तरह सहेम के हमनें बेल्ट और घडी पेहेनना छोर दिया था
उन् दिनों seniors के डर से ..
वक़्त बढ़ता गया .. अंजानो के इस शेहेर में मुझे कई मेरी तरह दीवाने मिले ..
दोस्ती हुई तो पता चला की इस सफ़र में हम सभी एक ही कश्ती में सवार थे ..
कारवां बढ़ता गया ..
और इसका लुत्फ़ भी बढ़ता गया..
हर दिन को किसी जाम की तरह आखरी कतरे तक पीया..
ज़िन्दगी में कई उतार - चढ़ावों को देखा ...
कुछ खुद को बदला .. कुछ औरों को बदलते हुए देखा ...
कई मुकामों को हासिल किया .. कई पीछे छूट गए ...
इन दीवारों के बीच कई रातें .. कई शामें गुजार दी ...
आज न जाने क्यूँ इनसे दूर होने के ख़याल से आँखें भर गयी हैं ...
एक गहरा रिश्ता सा ह़ो गया है सबसे ..
शायद आदत सी पड़ गयी है इन् दीवारों की …
वो शामों में किसी चाय की दूकान पे घंटों ठहाके लगाना ..
वो लॉन में बैठ के बेमतलब बातें की बातें करना ...
वो last bench पे बैठ कर क्लास करना ..
वो शरारतें ... वो किस्से ...
सब कुछ आँखों के सामने आज भी उतना ही जीवंत है...
अब न तो मुझे किसी लड़की से बात करने पे कौन चिढायेगा ..
और न ही कोई मेरी टांग खिचेगा ..
अब मुझे मेरे Birthday पे न तो कोई GPL देगा ..
और न ही कोई मेरे सड़े जोक्स पे हसेगा ...
हर बात पे मुझसे party मांगने वाले को देखने को भी तरस जाऊंगा ...
अब मैं अपने juniors को फ़ालतू के lectures भी न दे पाऊंगा ...
Graffiti और Edge सिर्फ शब्द बन के रह जायेंगे मेरे लिए ..
Edge Room की बातें सदा याद आयेंगे मुझे ...
जिस कॉलेज को कभी कम नंबर आने पे कोसा करते थे ...
आज उसी कॉलेज में कुछ महीने और गुजारने को तरस गए हैं ....
वो first year का uniform जो कभी मुझे मेरे Gate keeper की याद दिलाता था ...
आज उसे पेहेन्ने को भी तरस जाऊंगा ….
तस्वीरों में क़ैद कभी इन् पलों को याद कर यूँ ही हंस पडूंगा कभी ...
कुछ किस्सों को .. कुछ बातों को याद कर शायद मेरी आँखें भर आएँगी ..
सच .. ये सफ़र .. इसके राहियों को मैं कभी भूल न सकूंगा ..
याद आयेगा वो बारिश में भींगना ...
याद आएगी वो चिलचिलाती धुप में घूमना .. ..
वो सेहर में साथ निकल पढ़ना यूँ ही किसी सफ़र पे ..
चार साल तो सह लिए पर इन् कुछ पलों को सहने में खुद को कमज़ोर पाता हूँ ...
कई semesters , internals , lab submissions और vivas के बाद
आज सोचता हूँ की जीवन में क्या खोया .. क्या पाया ..
ये रिश्ते ही तो हैं जिन पर मुझे नाज़ होगा ...
रेत की तरह वक़्त अपनी हाथों से छूटते इन पलों को चाह के भी न रोक पाऊँगा …
कागज़ भींग चुका है ... आज भावुक सा हूँ .. कुछ और न लिख सकूंगा..
इस campus को .. कुछ रिश्तों को ... कुछ अश्कों को साथ समेटे हुए अलविदा कह रहा हूँ आपको ..
Nice post, things explained in details. Thank You.
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