मुर्दा लोहे को भी औजार बनाने वाले ,
अपने आंसू को भी हथियार बनाने वाले
हमको बेकार समझते हैं सिआसत वाले
हम हैं इस मुल्क की सरकार बनाने वाले ...
सब्र का बाँध अब टूट चुका है अब ...
जब सरकार हमारी आवाज़ चुप करने पे तुली हुई है
आओ हम सब अन्ना का साथ दें इस लड़ाई में ....
जब ७८ साल का वो वृध्ह इस तिमिर में आशा की ज्योत जला सकता है ..
तो उसे मशाल बनाना हमारा कर्त्तव्य है ...
देश के युवा ... खुद को जानो ... अपनी शक्ति को पहचानो ...
अकेले रहे तो कमज़ोर सही ...
लेकिन साथ में ग़दर मचाने की क्षमता रखते हैं हम ...
अपने जोश ... अपने जज्बे से ...
अपने लहू से सीचेंगे ये गुलिस्तान हम ...
ये हमारी मिटटी है ... ये हमारा देश है ..
इसके लिए कितनों ने अपने प्राणों की आहुति दी है ..
इसे यूँ ही खाक नहीं होने देंगे हम...
इस बार सोये तो बहुत पछतायेंगे .. इतिहास में ऐसे क्षण बार बार नहीं आते
जागो इस देश के नौजवान ...
ये धरती तुम्हे पुकार रही है ... हालात तुम्हे ललकार रहे हैं |
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